इन्वर्टर और यूपीएस (UPS) के महत्वपूर्ण आईटीआई इलेक्ट्रिशियन पॉइंट्स
1. इन्वर्टर (Inverter) क्या है?
इन्वर्टर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो DC (डायरेक्ट करंट) को AC (अल्टरनेटिंग करंट) में बदलने का काम करता है। यह मुख्य रूप से बैटरी से बिजली लेकर उसे 230V AC सप्लाई में कन्वर्ट करता है, जिससे बिजली जाने पर घरेलू उपकरण चलते रहें।
2. इन्वर्टर के मुख्य भाग (Main Components of Inverter)
बैटरी (Battery) – यह DC पावर स्टोर करता है।
चार्जिंग सर्किट (Charging Circuit) – यह बैटरी को चार्ज करता है।
इन्वर्टर सर्किट (Inverter Circuit) – यह DC को AC में कन्वर्ट करता है।
ऑटो कटऑफ सिस्टम (Auto Cutoff System) – यह बैटरी के ओवरचार्ज या डिस्चार्ज होने से बचाता है।
हिट सिंक (Heat Sink) – यह इन्वर्टर को गर्म होने से बचाने के लिए लगाया जाता है।
3. यूपीएस (UPS – Uninterruptible Power Supply) क्या है?
यूपीएस एक डिवाइस है जो बिजली जाने के बाद बिना रुकावट के कुछ समय तक बिजली सप्लाई करता है। यह मुख्य रूप से कंप्यूटर, मेडिकल इक्विपमेंट, नेटवर्किंग डिवाइसेस और अन्य संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए उपयोग किया जाता है।
4. यूपीएस के प्रकार (Types of UPS)
ऑनलाइन यूपीएस (Online UPS) – यह हमेशा बैटरी से कनेक्टेड रहता है और AC को पहले DC और फिर DC को AC में बदलकर आउटपुट देता है।
ऑफलाइन यूपीएस (Offline UPS) – यह सामान्य बिजली सप्लाई पर काम करता है और बिजली जाने पर बैटरी से सप्लाई देता है।
लाइन-इंटरएक्टिव यूपीएस (Line-Interactive UPS) – इसमें वोल्टेज को स्टेबल करने का सिस्टम होता है और यह वोल्टेज फ्लक्चुएशन को कंट्रोल करता है।
5. इन्वर्टर और यूपीएस में अंतर (Difference Between Inverter & UPS)
फ़ीचर | इन्वर्टर | यूपीएस |
---|---|---|
कार्यप्रणाली | DC को AC में बदलता है | बैटरी बैकअप के साथ AC सप्लाई देता है |
स्विचिंग टाइम | 500ms – 1s (धीमा) | 3ms – 8ms (तेज़) |
बैटरी बैकअप | बड़ा बैकअप दे सकता है | सीमित बैकअप (10-30 मिनट) |
उपयोग | घरेलू उपयोग (फैन, लाइट) | कंप्यूटर, सर्वर, मेडिकल उपकरण |
चार्जिंग सिस्टम | स्लो चार्जिंग | फ़ास्ट चार्जिंग |
6. इन्वर्टर और यूपीएस इंस्टॉलेशन के लिए सेफ्टी टिप्स
बैटरी वोल्टेज और एम्पियर की सही गणना करें।
तारों (Wires) का सही चयन करें – मोटे तार ज्यादा करेंट सहन कर सकते हैं।
इन्वर्टर/यूपीएस को वेंटिलेटेड जगह पर रखें ताकि अधिक गर्मी न हो।
अर्थिंग (Earthing) का ध्यान रखें, इससे शॉर्ट सर्किट से बचाव होता है।
लोड कैलकुलेशन करें ताकि ओवरलोडिंग से बचा जा सके।
7. इन्वर्टर/यूपीएस की बैटरी मेंटेनेंस (Battery Maintenance Tips)
बैटरी को समय-समय पर चार्ज करें।
डिस्टिल्ड वॉटर (Distilled Water) का सही मात्रा में उपयोग करें।
टर्मिनल की सफाई करें और जंग (Rust) को हटाएं।
बैटरी का वोल्टेज और चार्जिंग करंट नियमित रूप से चेक करें।
8. इन्वर्टर और यूपीएस से जुड़ी आम समस्याएँ और समाधान
समस्या | कारण | समाधान |
---|---|---|
बैटरी जल्दी डिस्चार्ज होती है | बैटरी पुरानी हो गई है या चार्जिंग सही नहीं हो रही | बैटरी बदलें या चार्जिंग सिस्टम चेक करें |
इन्वर्टर ओवरलोड हो रहा है | अधिक लोड जोड़ा गया है | लोड कम करें |
यूपीएस बीप कर रहा है | बैटरी कमजोर हो गई है | बैटरी चार्ज करें या बदलें |
चार्जिंग नहीं हो रही | चार्जर खराब हो सकता है | चार्जर रिपेयर करें या बदलें |
9. इन्वर्टर और यूपीएस की क्षमता (Capacity of Inverter & UPS)
इन्वर्टर और यूपीएस की क्षमता वॉट (Watt) या वोल्ट-एंपियर (VA) में मापी जाती है। सही क्षमता का चयन करने के लिए कुल लोड का कैलकुलेशन करना जरूरी होता है।
कैसे करें लोड कैलकुलेशन?
यदि आपके घर में 2 पंखे (80W), 3 ट्यूबलाइट (40W), और 1 टीवी (100W) चलाना है, तो कुल लोड होगा:
80×2 + 40×3 + 100 = 340W
यदि इन्वर्टर की एफिशिएंसी 80% है, तो जरूरी VA होगा:
340 ÷ 0.8 = 425 VA
इसलिए आपको कम से कम 500 VA का इन्वर्टर चाहिए।
10. इन्वर्टर और यूपीएस में प्रयोग होने वाली बैटरियों के प्रकार (Types of Batteries Used in Inverter & UPS)
लेड-एसिड बैटरी (Lead-Acid Battery) – यह सबसे सामान्य बैटरी होती है, जिसे समय-समय पर डिस्टिल्ड वॉटर भरकर मेंटेन करना पड़ता है।
SMF बैटरी (Sealed Maintenance-Free Battery) – यह बिना मेंटेनेंस के चलती है और अधिक सुरक्षित होती है।
लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Battery) – यह हल्की, अधिक टिकाऊ और तेज चार्ज होने वाली बैटरी होती है, लेकिन महंगी होती है।
11. इन्वर्टर और यूपीएस की दक्षता (Efficiency of Inverter & UPS)
इन्वर्टर की दक्षता (Efficiency): आमतौर पर 80% – 90% होती है।
यूपीएस की दक्षता (Efficiency): ऑनलाइन यूपीएस की दक्षता 85% – 95% तक हो सकती है।
12. इन्वर्टर और यूपीएस के लिए महत्वपूर्ण सेफ्टी गाइडलाइंस
बैटरी के आसपास ज्वलनशील पदार्थ न रखें – आग लगने का खतरा हो सकता है।
वेंटिलेशन का ध्यान रखें – बैटरी से हाइड्रोजन गैस निकलती है, जो बंद कमरे में खतरनाक हो सकती है।
सही अर्थिंग करें – इलेक्ट्रिकल शॉक और शॉर्ट सर्किट से बचाने के लिए अर्थिंग जरूरी है।
बैटरी टर्मिनल को साफ रखें – जंग (corrosion) से बैटरी की लाइफ कम हो सकती है।
ओवरलोडिंग से बचें – ज्यादा लोड लगाने से इन्वर्टर/यूपीएस जल्दी खराब हो सकता है।
13. इन्वर्टर और यूपीएस में फॉल्ट डायग्नोसिस (Fault Diagnosis in Inverter & UPS)
समस्या | संभावित कारण | समाधान |
---|---|---|
बैटरी चार्ज नहीं हो रही | चार्जर खराब या बैटरी खराब | चार्जर चेक करें या बैटरी बदलें |
बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो रही | बैटरी पुरानी हो गई या ओवरलोडिंग हो रही | नया बैटरी लें या लोड कम करें |
यूपीएस बार-बार बीप कर रहा है | वोल्टेज लो या बैटरी वीक | वोल्टेज स्टेबल करें या बैटरी चार्ज करें |
इन्वर्टर ऑन नहीं हो रहा | फ्यूज खराब या वायरिंग ढीली | फ्यूज बदलें और कनेक्शन चेक करें |
14. इन्वर्टर और यूपीएस खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
लोड का सही कैलकुलेशन करें – अधिक या कम क्षमता का इन्वर्टर/यूपीएस लेने से नुकसान हो सकता है।
ब्रांडेड प्रोडक्ट खरीदें – लोकल या सस्ते प्रोडक्ट जल्दी खराब हो सकते हैं।
बैटरी की गुणवत्ता जांचें – अच्छी बैटरी ही लंबा बैकअप देती है।
वारंटी और सर्विस सेंटर की जानकारी लें – किसी खराबी की स्थिति में वारंटी मददगार साबित होती है।
ऑटो कट फीचर वाला इन्वर्टर लें – इससे बैटरी की लाइफ ज्यादा होगी।
15. सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter) क्या होता है?
सोलर इन्वर्टर वह डिवाइस है, जो सौर ऊर्जा (Solar Energy) से बिजली उत्पन्न करके घर के उपकरणों को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसके लाभ:
बिजली बिल कम होता है।
पर्यावरण के अनुकूल है।
लंबे समय तक चलने वाली तकनीक है।
16. यूपीएस और इन्वर्टर का उपयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है?
क्षेत्र | उपयोग |
---|---|
घर | पंखे, लाइट, टीवी आदि के लिए |
ऑफिस | कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर बैकअप |
अस्पताल | मेडिकल उपकरण (वेंटिलेटर, मॉनिटर) |
इंडस्ट्री | मशीनरी ऑपरेशन के लिए |
स्कूल/कॉलेज | कंप्यूटर लैब्स और अन्य उपकरण |
17. इन्वर्टर और यूपीएस के उन्नत तकनीकी फीचर्स (Advanced Features of Inverter & UPS)
PWM (Pulse Width Modulation) तकनीक – ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में मदद करता है।
MPPT (Maximum Power Point Tracking) कंट्रोलर – सोलर इन्वर्टर में बेहतर पावर कन्वर्जन के लिए।
LCD डिस्प्ले – बैटरी स्टेटस, लोड और वोल्टेज मॉनिटर करने के लिए।
ऑटो कटऑफ – बैटरी को ओवरचार्जिंग से बचाने के लिए।
वाई-फाई/ब्लूटूथ कनेक्टिविटी – स्मार्टफोन से बैकअप और सेटिंग्स मॉनिटर करने के लिए।
बैटरी और यूपीएस के महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट्स
1. बैटरी (Battery) क्या है?
बैटरी एक इलेक्ट्रोकेमिकल डिवाइस है, जो रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) को विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) में परिवर्तित करती है। यह डीसी (DC) करंट प्रदान करती है, जो इन्वर्टर और यूपीएस के लिए आवश्यक होती है।
2. बैटरी के मुख्य प्रकार (Types of Battery)
लेड-एसिड बैटरी (Lead-Acid Battery) – यह सबसे आम बैटरी होती है और इन्वर्टर, यूपीएस में उपयोग की जाती है।
SMF बैटरी (Sealed Maintenance-Free Battery) – इसमें मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती और यह यूपीएस के लिए आदर्श होती है।
लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Battery) – हल्की, ज्यादा बैकअप देने वाली, और लंबे समय तक चलने वाली बैटरी होती है।
निकेल-कैडमियम बैटरी (Nickel-Cadmium Battery) – इंडस्ट्रियल उपयोग में आती है और टिकाऊ होती है।
3. बैटरी के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक पैरामीटर (Battery Electronic Parameters)
पैरामीटर विवरण वोल्टेज (Voltage) बैटरी का आउटपुट वोल्टेज (12V, 24V, 48V आदि) एम्पियर-आवर (Ah – Ampere Hour) बैटरी की क्षमता को दर्शाता है (Ex: 150Ah) चार्जिंग करंट (Charging Current) बैटरी को चार्ज करने के लिए आवश्यक करंट डिस्चार्ज रेट (Discharge Rate) बैटरी कितनी जल्दी डिस्चार्ज होती है साइकिल लाइफ (Cycle Life) बैटरी के चार्ज-डिस्चार्ज साइकल की संख्या 4. यूपीएस (UPS – Uninterruptible Power Supply) क्या है?
यूपीएस एक विद्युत डिवाइस है, जो मुख्य बिजली कटने के बाद तुरंत बैकअप पावर प्रदान करता है।
5. यूपीएस के प्रकार (Types of UPS)
ऑफलाइन यूपीएस (Offline UPS) – बिजली कटने के बाद कुछ मिलीसेकंड में बैटरी से कनेक्ट होता है।
ऑनलाइन यूपीएस (Online UPS) – यह हमेशा बैटरी पर चलता है और बिना रुकावट के बिजली देता है।
लाइन-इंटरएक्टिव यूपीएस (Line-Interactive UPS) – वोल्टेज स्टेबलाइजर के साथ आता है और बैकअप भी देता है।
6. यूपीएस के मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक (UPS Electronic Components)
इन्वर्टर सर्किट – डीसी (DC) पावर को एसी (AC) में बदलता है।
रेक्टिफायर (Rectifier) – एसी (AC) को डीसी (DC) में बदलकर बैटरी चार्ज करता है।
बैटरी चार्जर – बैटरी को चार्ज करने का काम करता है।
वोल्टेज रेगुलेटर – स्थिर वोल्टेज बनाए रखता है।
ऑटो कटऑफ सर्किट – बैटरी के ओवरचार्ज और ओवरलोड से बचाता है।
7. यूपीएस और बैटरी का कार्य करने का सिद्धांत (Working Principle of UPS & Battery)
जब बिजली उपलब्ध होती है:
यूपीएस का रेक्टिफायर एसी को डीसी में बदलकर बैटरी चार्ज करता है।
आउटपुट सीधे बिजली सप्लाई से जुड़ा रहता है।
जब बिजली कट जाती है:
बैटरी से डीसी पावर यूपीएस के इन्वर्टर सर्किट में जाता है।
इन्वर्टर इसे एसी में बदलकर उपकरणों को पावर देता है।
8. यूपीएस और बैटरी का लोड कैलकुलेशन (UPS & Battery Load Calculation)
कैसे करें यूपीएस के लिए बैटरी चयन?
कुल लोड निकालें – सभी उपकरणों के वॉट (Watt) जोड़ें।
बैकअप समय तय करें – कितनी देर तक बैकअप चाहिए (1 घंटे, 2 घंटे आदि)।
बैटरी कैपेसिटी कैलकुलेट करें:
बैटरीAh=(लोड×बैकअपसमय)बैटरीवोल्टेज×इन्वर्टरएफिशिएंसीबैटरी Ah = \frac{(लोड \times बैकअप समय)}{बैटरी वोल्टेज \times इन्वर्टर एफिशिएंसी}उदाहरण के लिए, यदि 500W लोड है, 2 घंटे बैकअप चाहिए, और इन्वर्टर 12V व 80% एफिशिएंसी है:
बैटरीAh=(500×2)12×0.8=10009.6=104Ahबैटरी Ah = \frac{(500 \times 2)}{12 \times 0.8} = \frac{1000}{9.6} = 104 Ahइस स्थिति में, 12V 150Ah बैटरी लेना सही रहेगा।
9. यूपीएस और बैटरी में फॉल्ट और समाधान (Common Faults & Solutions)
समस्या संभावित कारण समाधान बैटरी चार्ज नहीं हो रही चार्जर खराब, वायरिंग ढीली चार्जर और कनेक्शन जांचें यूपीएस बीप कर रहा है लो बैटरी, अधिक लोड बैटरी चार्ज करें, लोड कम करें यूपीएस चालू नहीं हो रहा फ्यूज खराब, बैटरी कनेक्शन खराब फ्यूज बदलें, बैटरी टर्मिनल साफ करें बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो रही पुरानी बैटरी, अधिक लोड बैटरी बदलें, ओवरलोडिंग न करें 10. यूपीएस और बैटरी के रखरखाव के टिप्स (Maintenance Tips for UPS & Battery)
बैटरी को नियमित रूप से चार्ज करें – बैटरी का डीप डिस्चार्ज न होने दें।
बैटरी का पानी (डिस्टिल्ड वॉटर) चेक करें – लेड-एसिड बैटरियों में नियमित रूप से चेक करें।
टर्मिनल साफ करें – जंग (corrosion) हटाएं और ग्रीस लगाएं।
ओवरलोडिंग से बचें – लोड की गणना करके ही उपकरण जोड़ें।
वेंटिलेशन का ध्यान रखें – बैटरी गर्मी में जल्दी खराब होती है।
11. यूपीएस और बैटरी खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
सही क्षमता का यूपीएस चुनें – लोड और बैकअप समय को ध्यान में रखें।
ब्रांडेड बैटरी और यूपीएस लें – लोकल बैटरियां जल्दी खराब हो सकती हैं।
वारंटी और सर्विस सेंटर की जानकारी लें – अच्छी सर्विस के लिए।
स्मार्ट फीचर्स वाले यूपीएस चुनें – एलसीडी डिस्प्ले, ऑटो कटऑफ आदि सुविधाओं के साथ।
12. सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी और यूपीएस (Solar Battery & UPS System)
आजकल सोलर बैटरी और सोलर यूपीएस का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे बिजली बिल कम होता है और अक्षय ऊर्जा का उपयोग होता है।
MPPT चार्ज कंट्रोलर – अधिकतम पावर उपयोग करता है।
सोलर पैनल – बैटरी चार्ज करने के लिए।