पावर जनरेशन और सबस्टेशन की सम्पूर्ण जानकारी
1. पावर जनरेशन (विद्युत उत्पादन)
पावर जनरेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा (Electricity) का उत्पादन किया जाता है। इसे विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है:
(1) तापीय विद्युत संयंत्र (Thermal Power Plant)
इसमें कोयला, डीजल, प्राकृतिक गैस, या परमाणु ऊर्जा का उपयोग करके भाप उत्पन्न की जाती है।
यह भाप टरबाइन को घुमाती है, जिससे जनरेटर के माध्यम से विद्युत उत्पादन होता है।
(2) जल विद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant)
इसमें पानी के प्रवाह से टरबाइन को घुमाकर बिजली उत्पन्न की जाती है।
यह एक पर्यावरण-अनुकूल और नवीकरणीय स्रोत है।
(3) सौर ऊर्जा संयंत्र (Solar Power Plant)
इसमें सूर्य की किरणों को सोलर पैनलों द्वारा एकत्र कर विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
यह स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोत है।
(4) पवन ऊर्जा संयंत्र (Wind Power Plant)
इसमें वायु टरबाइन का उपयोग करके हवा की गति से विद्युत उत्पादन किया जाता है।
इसका उपयोग खासकर समुद्री तटों और पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है।
(5) परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant)
इसमें परमाणु विखंडन (Nuclear Fission) की प्रक्रिया द्वारा बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
यह ऊर्जा भाप जनित कर टरबाइन को घुमाने में सहायक होती है।
2. सबस्टेशन (विद्युत उपकेंद्र)
सबस्टेशन वह स्थान होता है जहां पावर जनरेशन से प्राप्त बिजली को अलग-अलग वोल्टेज लेवल में परिवर्तित किया जाता है और ट्रांसमिशन तथा डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भेजा जाता है।
सबस्टेशन के मुख्य घटक
ट्रांसफार्मर (Transformer): वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker): विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने और फॉल्ट से सुरक्षा प्रदान करने के लिए।
आइसोलेटर (Isolator): किसी भी उपकरण को नेटवर्क से अलग करने के लिए।
बिजली मापक यंत्र (Measuring Instruments): वोल्टेज, करंट और पावर की निगरानी करने के लिए।
बसबार (Busbar): यह विद्युत प्रवाह को ट्रांसफार्मर और अन्य उपकरणों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
कैपेसिटर बैंक (Capacitor Bank): यह पावर फैक्टर सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सबस्टेशन के प्रकार
ट्रांसमिशन सबस्टेशन: हाई वोल्टेज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए।
डिस्ट्रीब्यूशन सबस्टेशन: ग्राहकों को बिजली सप्लाई करने के लिए।
स्विचिंग सबस्टेशन: केवल बिजली प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए।
कन्वर्टर सबस्टेशन: एसी (AC) को डीसी (DC) में बदलने के लिए।
3. पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन
उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन (High Voltage Transmission): बिजली को लंबी दूरी तक पहुंचाने के लिए 132kV, 220kV, 400kV और 765kV पर ट्रांसमिट किया जाता है।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम: 11kV, 440V और 230V तक बिजली को घटाकर घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए सप्लाई किया जाता है।
4. विद्युत पारेषण (Power Transmission)
विद्युत उत्पादन के बाद, इसे लंबी दूरी तक स्थानांतरित करने के लिए उच्च वोल्टेज में परिवर्तित किया जाता है। यह ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से सबस्टेशनों तक पहुंचाई जाती है।
ट्रांसमिशन सिस्टम के प्रकार
एसी (AC) ट्रांसमिशन:
आमतौर पर उपयोग किया जाता है।
लंबी दूरी तक बिजली पारेषण के लिए किफायती।
132kV, 220kV, 400kV और 765kV पर कार्य करता है।
डीसी (DC) ट्रांसमिशन:
लंबी दूरी के लिए बेहतर और कम नुकसानदायक।
एचवीडीसी (HVDC – High Voltage Direct Current) सिस्टम का उपयोग किया जाता है।
ट्रांसमिशन में होने वाले नुकसान
लाइन लॉस (Line Loss): विद्युत प्रवाह के दौरान ऊष्मा (Heat) के रूप में ऊर्जा का क्षय।
कोरोना लॉस (Corona Loss): उच्च वोल्टेज लाइनों पर हवा के आयनीकरण के कारण नुकसान।
स्किन इफेक्ट (Skin Effect): उच्च आवृत्ति के कारण धारा बाहरी सतह पर प्रवाहित होती है जिससे अधिक प्रतिरोध उत्पन्न होता है।
5. विद्युत वितरण (Power Distribution)
ट्रांसमिशन लाइनों से बिजली को अंतिम उपभोक्ताओं (घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक) तक पहुंचाने के लिए वितरण प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के घटक
फीडर (Feeder): सबस्टेशन से वितरण ट्रांसफार्मर तक बिजली ले जाने वाली लाइनें।
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर: हाई वोल्टेज को 11kV, 440V, और 230V तक घटाने के लिए।
डिस्ट्रिब्यूशन लाइनें: बिजली को घरों, फैक्ट्रियों और व्यावसायिक भवनों तक पहुंचाने के लिए।
मीटरिंग सिस्टम: उपभोक्ता द्वारा उपयोग की गई बिजली को मापने के लिए।
डिस्ट्रीब्यूशन के प्रकार
प्राथमिक वितरण (Primary Distribution): 11kV तक की सप्लाई प्रदान करता है।
द्वितीयक वितरण (Secondary Distribution): 230V (सिंगल फेज) और 440V (थ्री फेज) सप्लाई करता है।
6. विद्युत सुरक्षा प्रणाली (Electrical Protection System)
विद्युत प्रणाली को फॉल्ट और ओवरलोड से बचाने के लिए विभिन्न सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
मुख्य सुरक्षात्मक उपकरण
फ्यूज (Fuse): अधिक करंट प्रवाह को रोकने के लिए।
सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker): फॉल्ट डिटेक्शन के बाद विद्युत आपूर्ति बंद करने के लिए।
आइसोलेटर (Isolator): मेंटेनेंस के लिए उपकरणों को सुरक्षित रूप से अलग करने के लिए।
अर्थिंग सिस्टम (Earthing System): फॉल्ट करंट को जमीन में प्रवाहित करके सुरक्षा प्रदान करता है।
लाइटनिंग अरेस्टर (Lightning Arrester): बिजली गिरने से उपकरणों की सुरक्षा के लिए।
9. विद्युत प्रणाली में स्वचालन (Automation in Power System)
आजकल, विद्युत प्रणाली को अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने के लिए ऑटोमेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है।
स्वचालन की प्रमुख तकनीकें
SCADA (Supervisory Control and Data Acquisition): रियल-टाइम मॉनिटरिंग और नियंत्रण के लिए।
स्मार्ट ग्रिड (Smart Grid): स्मार्ट मीटर और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम का उपयोग।
रिले प्रोटेक्शन सिस्टम: स्वतः फॉल्ट डिटेक्शन और सुरक्षा के लिए।
8. विद्युत प्रणाली के रखरखाव (Maintenance of Power System)
बिजली आपूर्ति को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए नियमित रखरखाव बहुत जरूरी होता है।
रखरखाव के प्रकार
निवारक रखरखाव (Preventive Maintenance): उपकरणों की समय-समय पर जांच और सुधार।
भविष्यवाणी आधारित रखरखाव (Predictive Maintenance): सेंसर और डेटा विश्लेषण के माध्यम से संभावित खराबी का पूर्वानुमान।
सुधारात्मक रखरखाव (Corrective Maintenance): खराब हुए उपकरणों की मरम्मत या प्रतिस्थापन।